बहुत से लोग ये सोचते है की क्या इयरफोन ख़तरनाक होते है।आप कई लोगो से ये बात सुन चुके होंगे की इयरफोन हमारे कानो के लिए ख़राब होता है पर इसमें कितनी सच्चाई है इसको जानने के लिए आप को डेसीबल का मतलब जानना होगा। डेसीबल ध्वनि नापने की इकाई होती है। 70 डेसीबल से नीचे का साउंड हमारे कानो के लिए ख़तरनाक नहीं होता है। 70 से 90 डेसीबल तक का साउंड अगर हम ज्यादा देर तक सुने तो ख़तरनाक होता है और 100 डेसीबल के ऊपर का साउंड हमारे लिए ख़तरनाक होता है। आसमान में उड़ने वाले जेट का साउंड 140 डेसीबल होता है तो आप अंदाज लगा सकते हो की 100 डेसीबल का साउंड कितना होता होगा।जेट के साउंड से आधा तक का साउंड हमारे लिए ख़तरनाक नहीं होता है।

 


इयरफोन आप के लिए तभी ख़राब है जब आप घंटो तक मतलब 9 से 10 घंटो तक लगातार लाउड बेस वाला साउंड सुन रहे हो तब जा कर आप के लिए ये ख़राब होता है।बहुत से वीडियो और आर्टिकल आप को डारने का काम करता है अगर आप इयरफोन लगाओगे तो आप को ये हो जायेगा वो हो जायेगा पर ऐसा कुछ भी नहीं होता है।हा लेकिन आप बहुत समय तक लाऊड म्यूजिक में इयरफोन का यूज़ करते हो तभी ये आप के लिए हानिकारक हो सकता है।फोन में जो वॉल्यूम होता है उसमे 70 से 75 % तक का जो वॉल्यूम होता है वो सेफ होता है लम्बे समय तक यूज़ करने के लिए और जो फोन को फुल वॉल्यूम करके गाना सुनते है उनके के लिए खतरा तब बढ़ जाता है जब वो बहुत समय तक फुल वॉल्यूम में म्यूजिक सुन रहे होते है।
अगर आप एक लिमिट साउंड तक और लिमिट समय तक इयरफोन का यूज़ करते है तो ये आप के लिए बिलकुल भी हानिकारक नहीं है।और हो सके तो एक इयरफोन को एक ही व्यक्ति द्वारा की इस्तेमाल करना चाहिए क्योकि एक ही इयरफोन को सब यूज़ करेंगे तो मइक्रोऑर्गैजम का जो ट्रांसफर होता है एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वो उसके लिए अच्छा नहीं होता है इसलिए अपना एक अलग से इयरफोन रखना चाहिए। 

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